तेरे जाने के बाद


तेरे जाने के बाद,

कल सवेरे ही चला गया

जून का महीना

कहीं रूठ कर,

मैंने पीली तीखी धूपों से भी पूछा,

और लू से तपती भैसों से भी,

कि कुछ बताएं

जून की और जीने की,

कि कुछ भौतिक राज

खोले मेरे आगे,

पर वह बोलते ही नहीं,

सिवाए इसके कि जवाबदेही

तो मेरी ही बनती है,

“दोस्त भी तेरा था,

महीना भी तेरा था, और

पूछता भी तू ही है?”

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