सुनो, जानती हो?


सुनो, जानती हो?

उधर, सितारों से आगे, एक संसार और भी है,

इधर मैं तुम्हारा वर्णन लिखूंगा,

उधर, सब चमकने लगेगा,

देख रही हो?

अभी सिर्फ मैंने तुम्हारी कमर को मृग कहा है,

और उधर पांच पांच मणि टिमटिमाने लगे है,

अरे, पलके क्यों मूंद ली?

मैंने तो सिर्फ तुम्हारे होंठों को एक अंतरिक्ष-द्वार लिखा है,

और देखा? वो दूसरा अंतरिक्ष अभिवादन कर रहा है तुम्हारा,

हँस रही हो मुझ पर?

तुम्हारे बाल शत-प्रतिशत झरनों जैसे है, सच-मुच्,

देखो गुलाबी बर्फ उस तरफ से पिघल रही है इन में

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